Submitted by Shanidham Gaushala on 29 Mar, 2019
1. जोड़ों का दर्द - जोड़ों में दर्द होने पर गौमूत्र का प्रयोग दो तरीकों से किया जा सकता है। इनमें से पहला तरीका है, दर्द वाले स्थान पर गौमूत्र से सेंक करें। और सर्दी में जोड़ों का दर्द होने पर 1 ग्राम सोंठ के चूर्ण के साथ गौमूत्र का सेवन करें।
2. मोटापा - गौमूत्र के माध्यम से आप मोटापे पर आसानी से नियंत्रण पा सकते हैं। आधे गिलास ताजे पानी में 4 चम्मच गौमूत्र ,2 चम्मच शहद तथा 1 चम्मच नींबू का रस मिलाकर नित्य सेवन करें।
3. दंत रोग - दांत दर्द एवं पायरिया में गौमूत्र से कुल्ला करने से लाभ होता है। इसके अलावा पुराना जुकाम, नजला, श्वास- गौमूत्र एक चौथाई में एक चौथाई चम्मच फूली हुई फिटकरी मिलाकर सेवन करें।
4. हृदयरोग - 4 चम्मच गौमूत्र का सुबह-शाम सेवन करना हृदय रोगियों के लिए लाभकारी होता है। इसके साथ ही मधुमेह रोगियों के लिए भी यह लाभकारी है। मधुमेह के रोगियों को बिना ब्यायी गाय का गौमूत्र प्रतिदिन डेढ़ तोला सेवन करना चाहिए।
5. पीलिया - 200-250 मिली गौमूत्र 15 दिन तक पिएं, उच्च रक्तचाप होने पर एक चौथाई प्याले गौमूत्र में एक चौथाई चम्मच फूली हुई फिटकरी डालकर सेवन करें और दमा के रोगी को छोटी बछड़ी का 1 तोला गौमूत्र नियमित पीना लाभकारी होता है।
6. यकृत, प्लीहा बढ़ना- 5 तोला गौमूत्र में 1 चुटकी नमक मिलाकर पिएं या पुनर्नवा के क्वाथ को समान भाग गौमूत्र मिलाकर लें। आप यह भी कर सकते हैं कि गर्म ईंट पर उससे गौमूत्र में कपड़ा भिगोकर लपेटें तथा प्रभावित स्थान पर हल्की-हल्की सिंकाई करें।
7. कब्ज या पेट फूलने पर - (क) 3 तोला ताजा गौमूत्र छानकर उसमें आधा चम्मच नमक मिलाकर पिलाएं। (ख) बच्चे का पेट फूल जाए तो 1 चम्मच गौमूत्र पिलाएं। और गैस की समस्या में प्रात:काल आधे कप गौमूत्र में नमक तथा नींबू का रस मिलाकर पिलाएं या फिर पुराने गैस के रोग के लिए गौमूत्र को पकाकर प्राप्त किया गया क्षार भी गुणकारी है।
8. गले का कैंसर - 100 मिली गौमूत्र तथा सुपारी के बराबर गाय का गोबर दोनों को मिलाकर स्वच्छ बर्तन में छान लें। सुबह नित्य कर्म से निवृत्त होकर निराहार 6 माह तक प्रयोग करें।
9. चर्मरोग - नीम गिलोय क्वाथ के साथ सुबह-शाम गौमूत्र का सेवन करने से रक्तदोषजन्य चर्मरोग नष्ट हो जाता है। इसके अलावा चर्मरोग पर जीरे को महीन पीसकर गौमूत्र मिलाकर लेप करना भी लाभकारी है।
10. आंख के रोग - आंख के धुंधलेपन एवं रतौंधी में काली बछिया के मूत्र को तांबे के बर्तन में गर्म करें। चौथाई भाग बचने पर छान लें और उसे कांच की शीशी में भर लें। उससे सुबह-शाम आंख धोएं।
11. पेट में कृमि - आधा चम्मच अजवाइन के चूर्ण के साथ 4 चम्मच गौमूत्र 1 सप्ताह सेवन करें। और कब्ज की समस्या होने पर हरड़ के चूर्ण के साथ गौमूत्र सेवन करें।
गौमूत्र सेवन में कुछ सावधानियां रखना भी बेहद आवश्यक है। जानिए ऐसी ही 7 जरूरी सावधानियां -
1. देशी गाय का गौमूत्र ही सेवन करें। गाय गर्भवती या रोगी न हो।
2, जंगल में चरने वाली गाय का मूत्र सर्वोत्तम है।
3. 1 वर्ष से कम की बछिया का मूत्र सर्वोत्तम है।
4. मालिश के लिए 2 से 7 दिन पुराना गौमूत्र अच्छा रहता है।
5. पीने हेतु गौमूत्र को 4 से 8 बार कपड़े से छानकर प्रयोग करना चाहिए।
6. बच्चों को 5-5 ग्राम और बड़ों को 10 से 20 ग्राम की मात्रा में गौमूत्र सेवन करना चाहिए।
सौजन्य : कल्याण