आओ मिलकर एक सुनहरा भारत बनाएं गौरी (बेटी), गाय और गंगा को बचाएं
नई दिल्ली। गोपाष्टमी का सनातन धर्म में विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। यह त्योहार मुख्य रूप से गौ माता और भगवान कृष्ण के प्रति श्रद्धा और भक्ति को समर्पित है। गोपाष्टमी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन गौ माता और भगवान कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि यह दिन भगवान कृष्ण द्वारा गौ चराने की शुरुआत की गई थी। इस अवसर पर शनिवार को सिद्ध शक्तिपीठ शनिधाम में धूमधाम –असोला, फतेहपुर बेरी स्थित शनिधाम गौशाला में गोपाष्टमी का धूमधाम से इस महापर्व को मनाया गया।
Submitted by Shanidham Gaushala on 07 Jul, 2019
महाभारत में गौमाता का माहात्म्य, तथा गौमाता के दैनिक जाप, प्रार्थना तथा प्रणाम के मंत्र भगवान् श्री राम के गुरुदेव महर्षि वसिष्ठ जी इक्ष्वाकुवंशी महाराजा सौदास से “गवोपनिषद्” (गौओं की महिमा के गूढ रहस्य को प्रकट करने वाली विद्या) का निरूपण करते हुए महाभारत में कहते हैं
Submitted by Shanidham Gaushala on 27 Apr, 2020
।।श्री गौ माता के 108 नामो की नामावली ।। ।। दोहा ।। श्री गणपति का ध्यान कर जपो गौ मात के नाम । इनके सुमिरन मात्र से खुश होवेंगे श्याम ।।
Submitted by Shanidham Gaushala on 29 Mar, 2019
शास्त्रों में ऋषियों-महर्षियों ने गौ की अनंत महिमा लिखी है। उनके दूध, दही़, मक्खन, घी, छाछ, मूत्र आदि से अनेक रोग दूर होते हैं। गौमूत्र एक महौषधि है। हिंदू धर्म के अनेक ग्रंथों में गौमूत्र से मिलने वाले फायदों के बारे में विस्तार से जानकारी मिलती है. यहां तक कि वैज्ञानिकों ने भी गौमूत्र को कीटाणुनाशक और शरीर की कई बीमारियों को दूर करने में सहायक माना है. गोमूत्र में कार्बोलिक एसिड, यूरिया, फास्फेट, यूरिक एसिड, पोटैशियम और सोडियम होता है यानि शरीर की बीमारियों को ठीक करने के लिए जितने तत्वों की जरूरत होती है इसलिए इसे औषधीय गुणों की दृष्टि से महौषधि माना गया है। जानिए विभिन्न रोगों में गौमूत्र के लाभ -
यज्ञ में सोम की चर्चा है जो कपिला गाय के दूध से ही तैयार किया जाता था। इसीलिए महाभारत के अनुशासन पर्व में गौमाता के विषय में विशेष चर्चाऐं हैं। गाय सभी प्राणियों में प्रतिष्ठत है, गाय महान उपास्य है। गाय स्वयं लक्ष्मी है, गायों की सेवा कभी निष्फल नहीं होती।
मित्रो! यज्ञ में प्रयुक्त होने वाले शब्द जिनसे देवताओं व पितरों को हवन सामग्री प्रदान की जाती है, वे स्वाहा व षट्कार गौमाता में स्थायी रूप से स्थित हैं। स्पष्ट है, यज्ञ स्थल गाय के गोबर से लीपकर पवित्र होता है। गाय के दूध, दही, घृत, गोमूत्र और गोबर से बने हुए पंचगव्य से स्थल को पवित्र करते हैं।
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