आओ मिलकर एक सुनहरा भारत बनाएं गौरी (बेटी), गाय और गंगा को बचाएं
नई दिल्ली। गोपाष्टमी का सनातन धर्म में विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। यह त्योहार मुख्य रूप से गौ माता और भगवान कृष्ण के प्रति श्रद्धा और भक्ति को समर्पित है। गोपाष्टमी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन गौ माता और भगवान कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि यह दिन भगवान कृष्ण द्वारा गौ चराने की शुरुआत की गई थी। इस अवसर पर शनिवार को सिद्ध शक्तिपीठ शनिधाम में धूमधाम –असोला, फतेहपुर बेरी स्थित शनिधाम गौशाला में गोपाष्टमी का धूमधाम से इस महापर्व को मनाया गया।
Submitted by Shanidham Gaushala on 10 Jun, 2019
इस संसार में ‘गौ’ एक अमूल्य और कल्याणप्रद पशु है। सूर्य भगवान के उदय होने पर उनकी ‘ज्योति’, ‘आयु’ और ‘गो’–ये तीन किरणें स्थावर-जंगम (चराचर) सभी प्राणियों में कम या अधिक मात्रा में प्रविष्ट होती हैं; परन्तु ‘गो’ नाम की किरण गौ-पशु में ही अधिक मात्रा में समाविष्ट होती है इसीलिए इनको ‘गौ’ नाम से पुकारते हैं। ‘गो’ नामक सूर्य किरण की पृथ्वी स्थावरमूर्ति (अचलरूप) और गौ-पशु जंगममूर्ति (चलायमानरूप) है।
Submitted by Shanidham Gaushala on 07 Jul, 2019
19. कृष्णाबेली कर्नाटक के कृष्णा नदी के तटीय क्षेत्रों में पायी जानी वाली कृष्णाबेली गाय की नस्ल गिर, ओंगोल, कांकरेज, हल्लिकर नस्लों से ही विकसित की गई है। यह महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के कुछ इलाके में भी पायी जाती है। इनके मुंह का अगला हिस्सा बड़ा और सिंगें सामान्य से छोटी और ऊपर में अंदर की ओर मुड़ी होती है। मस्तिष्क उभरा हुआ तथा दानों कान छोटे मगर नुकीले होते हैं। पूंछ जमीन को करीब-करीब छूती हुई काली होती है। गाय स्लेटी, भूरा और काले रंग की होती है, जबकि बैल गहरे रंग के होते हैं। यह औसत गायों की तरह ही दूध देती है।
Submitted by Shanidham Gaushala on 29 Mar, 2019
शास्त्रों में ऋषियों-महर्षियों ने गौ की अनंत महिमा लिखी है। उनके दूध, दही़, मक्खन, घी, छाछ, मूत्र आदि से अनेक रोग दूर होते हैं। गौमूत्र एक महौषधि है। हिंदू धर्म के अनेक ग्रंथों में गौमूत्र से मिलने वाले फायदों के बारे में विस्तार से जानकारी मिलती है. यहां तक कि वैज्ञानिकों ने भी गौमूत्र को कीटाणुनाशक और शरीर की कई बीमारियों को दूर करने में सहायक माना है. गोमूत्र में कार्बोलिक एसिड, यूरिया, फास्फेट, यूरिक एसिड, पोटैशियम और सोडियम होता है यानि शरीर की बीमारियों को ठीक करने के लिए जितने तत्वों की जरूरत होती है इसलिए इसे औषधीय गुणों की दृष्टि से महौषधि माना गया है। जानिए विभिन्न रोगों में गौमूत्र के लाभ -
यज्ञ में सोम की चर्चा है जो कपिला गाय के दूध से ही तैयार किया जाता था। इसीलिए महाभारत के अनुशासन पर्व में गौमाता के विषय में विशेष चर्चाऐं हैं। गाय सभी प्राणियों में प्रतिष्ठत है, गाय महान उपास्य है। गाय स्वयं लक्ष्मी है, गायों की सेवा कभी निष्फल नहीं होती।
मित्रो! यज्ञ में प्रयुक्त होने वाले शब्द जिनसे देवताओं व पितरों को हवन सामग्री प्रदान की जाती है, वे स्वाहा व षट्कार गौमाता में स्थायी रूप से स्थित हैं। स्पष्ट है, यज्ञ स्थल गाय के गोबर से लीपकर पवित्र होता है। गाय के दूध, दही, घृत, गोमूत्र और गोबर से बने हुए पंचगव्य से स्थल को पवित्र करते हैं।
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