भारतीय नस्ल के 20 सर्वाधिक लोकप्रिय गौवंश है | राठी नस्ल की गाय के बारें में जानते है |

Submitted by Shanidham Gaushala on 18 Sep, 2025

7. राठी राजस्थान के पश्चिमी इलाके में पायी जाने वाली इस प्रजाति की गायों को भी अधिक मात्रा में दूध दनेवाली गायों के रूप में जाना जाता है। इसका नाम राठस जनजाति के नाम पर पड़ा है। इन्हें मुख्यतः खनाबदोश जिंदगी गुजारने वाले लोग अपने साथ रखते थे। यह बहुत ही महत्वपूर्ण दुधारू नस्ल की गाय है, जिनकी उत्पत्ति सहिवाल, सिंधी, थारपारकर नस्लों से हुई हैं। ऊपर की उठे हुए छोट काले मगर नुकीले सिंग तथा झुके कान, काले थुथन एवं सफेद शरीर पर भूरे रंग का चितकबरापन इसकी पहली पहचान होती है। आंखें छोटी मगर भूरी तथा पूंछ लंबी और साफ होती हैं।


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भारतीय नस्ल के 20 सर्वाधिक लोकप्रिय गौवंश है | लाल सिंधी नस्ल की गाय के बारें में जानते है |

Submitted by Shanidham Gaushala on 18 Sep, 2025

6. लाल सिंधी लाल सिंधी प्रजाति के गौवंश में अफगान प्रजाति और गीर प्रजाति का वर्णसंकर पाया जाता है । इस प्रजाति की गाय का शरीर पूर्णत: लाल होता है । लाल रंग की सिंधी गाय की गणना सर्वाधिक दूध देनेवाली गायों में होता है ।थोडी खुराक में भी यह अपना शरीर अच्छा रख लेती है ।


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भारतीय नस्ल के 20 सर्वाधिक लोकप्रिय गौवंश है | कंकरेज नस्ल की गाय के बारें में जानते है |

Submitted by Shanidham Gaushala on 18 Sep, 2025

5. कंकरेज गौवंश की प्रजाति कंकरेज भारत की सबसे पुरानी नस्लों में से एक है, जो गुजरात प्रदेश के काठियावाड़, बड़ौदा, कच्छ और सूरत में पायी जाती है। इसकी उपलब्धता राजस्थान के जोधपुर में भी है। छोटे किंतु चौड़े मुंह वाली यह दोहरे एवं भारी नस्ल की गाय बढि़यार और सर्वांगी के नाम से भी जानी जाती है। इनका रंग काला या स्लेटी होता है। इस प्रजाति के बैलों का कूबड़ काला होता है। छोटी नाक थोड़ी ऊपर की ओर उठी होती है। सिंग लंबी, मजबूत और लुभावने होते हैं तथा कान लटके हुए लंबे और मस्तिष्क चिकनी उभरी होती है। इस प्रजाति की गौवंश के गले के नीचे का लटकता हुआ झालरनुमा मांस भी इसकी खास पहचान है। इसे दुधारू गायों की श्रेणी में रखा जा सकता है।


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भारतीय नस्ल के 20 सर्वाधिक लोकप्रिय गौवंश है | हरयाणवी नस्ल की गाय के बारें में जानते है |

Submitted by Shanidham Gaushala on 18 Sep, 2025

4. हरयाणवी नाम के अनुरूप हरयाणवी गायें हरियाणा प्रदेश की मुख्यतः रोहतक, गुड़गांव और हिसार जिले में पायी जाती हैं। ये गायें सर्वांगी कहलाती हैं और मध्यम आकार की हल्के धूसर रंग की सफेद होती हैं। इस प्रजाति की गायें जहां दुधारू होती हैं, वहीं इनके बैल खेती-किसानी कार्य के लिए बहुत ही उपयुक्त माने जाते हैं। यही कारण है कि इसके बछड़े पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है। इसका मुंह संकीर्णता लिए हुए लंबा और सींग छोटे एवं दोनों ओर फैले हुए होते हैं। आंखें, थूथन और पूंछ काली होती हैं। हिसार क्षेत्र में पायी जानी हरयाणवी गौवंश को हासी कहा जाता है। इनके रंग भी सफेद मिश्रित खाकी होते हैं तथा बैल परिश्रमी होते हैं।


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भारतीय नस्ल के 20 सर्वाधिक लोकप्रिय गौवंश है | साहीवाल नस्ल की गाय के बारें में जानते है |

Submitted by Shanidham Gaushala on 18 Sep, 2025

3 . साहीवाल भारत की यह सर्वश्रेष्ठ प्रजाति सहीवाल मुख्यतः पंजाव प्रांत में पायी जाती है। इस नस्ल की गायें पाकिस्तान में भी होती हैं तथा अफगानिस्तान की गायों से मिलती-जुलती हैं। मान्यता के अनुसार ये गीर नस्ल की मिश्रित अधिक दूध देने वाली गायें हैं। अच्छी देखभाल से इनको कहीं भी रखा जा सकता है। इन्हें बड़ी-बड़ी डेयरियों में पाली जाती हैं। सामान्यतः लालीपन लिए हुए भूरे रंग की इन गायों के कान ओर सिंगें नीचे की ओर झुकी होती हैं। इस प्रजाति के बैल के ललाट चौड़े मगर गाय के ललाट मध्यम आकार की होती हैं। थुथन काली और पूंछ सामान्य लंबाई के होने के साथ-साथ इन्हें भारी गलकंब की वजह से भी पहचानी जाती हैं। इनका थन भी बड़ा और भारी होता है।साहीवाल नर का वजन 450 से 500 किलो, गाय का 300-400 किलो तक होता है।


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