गौमाता को कैसे करें प्रसन्न जानें

Submitted by Shanidham Gaushala on 18 May, 2024

हिंदू धर्म में गौमाता, धेनु, गाय की पवित्रता और महत्व को माना गया है। गौ के दर्शन, पूजन, नमस्कार, परिक्रमा, गाय को सहलाने, गौग्रास देने तथा जल पिलाने आदि सेवा के द्वारा मनुष्य दुर्लभ सिद्धियाँ प्राप्त होती है गौ सेवा से मनुष्य की मनोकामनाएँ जल्द ही पूरी हो जाती है.गाय के शरीर में सभी देवी-देवता, ऋषि मुनि, गंगा आदि सभी नदियाँ तथा तीर्थ निवास करते है इसीलिये गौसेवा से सभी की सेवा का फल मिल जाता है


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मां के दूध के बाद सबसे पौष्टिक आहार देसी गाय का दूध ही है ।

Submitted by Shanidham Gaushala on 18 May, 2024

आज भी गाय की उत्पादकता व उपयोगिता में कोई कमी नहीं आई है । केवल हमने अपनी जीवनशैली को प्राकृतिक आधार से हटाकर यन्त्राधारित बना लिया है । विदेशियों के अंधानुकरण से हमने कृषि को यन्त्र पर निर्भर कर दिया । यन्त्र तो बनने के समय से ही ऊर्जा को ग्रहण करने लगता है और प्रतिफल में यन्त्रशक्ति के अलावा कुछ भी नहीं देता । बैलों से हल चलाने के स्थान पर ट्रेक्टर के प्रयोग ने जहाँ एक ओर भूमि की उत्पादकता को प्रभावित किया है वहीं दूसरी ओर गोवंश को अनुपयोगी मानकर उसके महत्व को भी हमारी दृष्टि में कम कर दिया है । फिर यन्त्र तो ईंधन भी मांगते हैं ।


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तीसरे दिन होती है मां चंद्रघंटा की पूजा, जानें पूजा विधि, मंत्र, शुभ मुहूर्त और अन्य जानकारियां

Submitted by Shanidham Gaushala on 18 May, 2024

नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां को सुगंधप्रिय है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि की मां के माते में चंद्र के आकार का चांद बना है। जिसके कारण इन्हें चंद्रघंटा नाम दिया गया है। इसके साथ ही मां का सिंह वाहन है और हर हाथ में शस्त्र है।


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ये काम करने से गौ माता मन चाहा फल देती है

Submitted by Shanidham Gaushala on 18 May, 2024

गाय – पवित्रतम् पशु यह तो सभी जानते हैं कि हिन्दू धर्म में गाय को पवित्र माना गया है, इसकी पूजा की जाती है, इसकी सेवा की जाती है, लेकिन क्यों? क्या यह महज़ मान्यता है या इसके पीछे कोई कारण भी है? वर्षों से हो रहे रीति-रिवाज़ हमेशा ही निभाए जाते हैं, आज के युग में भी लोग प्राचीन रिवाज़ों का पालन कर रहे हैं, लेकिन हर कोई इन रिवाज़ों का महत्व और उद्देश्य नहीं जानता।


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गौमाता में ही हैं समस्त तीर्थ

Submitted by Shanidham Gaushala on 18 May, 2024

गाय, गोपाल, गीता, गायत्री तथा गंगा धर्मप्राण भारत के प्राण हैं, आधा हैं। इनमें मैं गौमाता को सर्वोपरि महत्व है। पूजनीय गौमाता हमारी ऐसी माँ है जिसकी बराबरी न कोई देवी-देवता कर सकता है और न कोई तीर्थ। गौमाता के दर्शन मात्र से ऐसा पुण्य प्राप्त होता है जो बड़े-बड़े यज्ञ दान आदि कर्मों से भी नहीं प्राप्त हो सकता। जिस गौमाता को स्वयं भगवान कृष्ण नंगे पाँव जंगल-जंगल चराते फिरे हों और जिन्होंने अपना नाम ही गोपाल रख लिया हो, उसकी रक्षा के लिए उन्होंने गोकुल में अवतार लिया। शास्त्रों में कहा है सब योनियों में मनुष्य योनी श्रेष्ठ है।


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